तपस विश्वास की रिपोर्ट
कुछ महीनों में 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के साथ ही 2024 आम चुनाव के भी मद्देनजर समाज के वंचित वर्गों के बीच भरोसा बढ़ाने की होड़ अभी से दिखने लगी है। नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी जहां इनके बीच अपनी पहुंच और मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस भी अपने सबसे पुराने और पारंपरिक वोट को दोबारा हासिल करने के लिए नए सिरे से जोर लगा रही है। इस सियासी खींचतान का असर जमीन पर भी दिख रहा है। 2014 से पहले बीजेपी के सामने अपना सामाजिक विस्तार बढ़ाने की सबसे अधिक चुनौती होती थी। लेकिन आज नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी ने इस मिथक को तोड़ते हुए कांग्रेस के वोट बैंक को पहले के मुकाबले अब अपना जनाधार बना लिया हैं सभी राज्यों की तरह सभी राजनीतिक पार्टी उत्तराखंड में भी जातीय समीकरण पर दांव खेलने के मध्य नजर धरातल पर काम कर रही है।
उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियां जाति, क्षेत्र और वर्ग के आधार पर वोटरों को रिझाने के प्रयास कर रही हैं। कुछ ताज़ा कार्यक्रमों पर और राजनैतिक मंसूबों पर गौर कर तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कैसे बंगाली समाज को प्रभावित करने के लिए पार्टियां कोशिश कर रही हैं। विधानसभा चुनाव के नज़दीक आने पर राजनीतिक पार्टियों की नज़र बंगाली वोटरों पर टिकी है। वही कांग्रेस, आम आदमी पार्टी की अपेक्षा बीजेपी बंगाली समाज में प्रभाव छोड़ने में आगे दिख रही है । इस पूरी कवायद के पीछे बड़ा कारण यह है कि तराई की तीन विधानसभाओं रुद्रपुर, गदरपुर और सितारगंज में बंगाली वोटरों का बड़ा प्रभाव है। और तीनों ही सीटों पर बंगाली वोटर निर्णायक की भूमिका में है यही कारण है कि राजनीतिक पार्टियों की नजर इन तीनों सीटों पर बंगाली वोटरों पर है।
आपको बता दें उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक बंगाली समाज से दो विधायक विधानसभा में पहुंच चुके हैं। बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े बंगाली नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, तो वहीं राजनीतिक पार्टियां जातियों या समुदायों के आधार वोटरों को अपने पाले में करने के लिए पूरी कोशिशों में जुटी हैं। इस रेस में कांग्रेस एक तरफ दलितों को साधने पर फोकस करती दिख रही है तो बीजेपी कुछ खास विधानसभा सीटों पर सिखों और बंगालियों को साध रही है। हाल ही में जेपी नड्डा के ऊधम सिंह नगर मुख्यालय दौरे के बाद यहां क्या कुछ खास घट रहा है।
कभी कब कांग्रेस का वोट बैंक माने जाने वाला बंगाली वोटरों को साधने के लिए भाजपा पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। इसके तहत बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की सांसद लॉकेट चटर्जी को उत्तराखंड में चुनाव सह प्रभारी बनाया। फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बंगाली समाज के लोगों के जाति प्रमाण पत्र में लिखा जाने वाला पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाने का बड़ा ऐलान किया। हाल में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाली समाज के लोगों के साथ संवाद किया. इससे बंगाली समाज में बीजेपी की पैठ गहरी होने का दावा किया जा रहा है।
बंगाली समाज में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव ने विपक्षी कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। कभी कांग्रेस का वोट बैंक रहा बंगाली समाज अब छिटकता हुआ बताया जा रहा है। कांग्रेस अब बंगाली वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति तैयार करने में जुटी है। लेकिन बीजेपी ने आक्रामक तेवर दिखाकर बढ़त बनाने का काम किया है। नड्डा ने अपने संवाद कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की आलोचना की तो बंगाली समाज के कसीदे भी पढ़े । कुछ ऐसा ही लॉकेट चटर्जी ने भी दोहराया । वही कांग्रेस के वोट बैंक पर भाजपा के प्रभाव से कांग्रेस की मुश्किलें लगातार बढ़ती नजर आ रही हैं। तीनों सीटों पर भाजपा हर हाल में अपना आधिपत्य कायम रखना चाहती है। वहीं कांग्रेस भी इस और विशेष ध्यान देने का दावा करते हुए बंगाली समाज के साथ बड़ा कार्यक्रम करने का दम भर रहे हैं। लेकिन आने वाला वक्त और चुनावी माहौल यह तय करेगा कि बंगाली वोटर किस पार्टी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगा और इन तीनों विधानसभा में सरकार बनाने के लिए अपनी भूमिका निभाएगा।