कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत में मानसून का आगमन सदैव ही सुखद एवं आल्हादकारी होता है ।देश के कई हिस्से में लोग मानसून के आगमन को बकायदा सेलिब्रेट करते हैं । वे समूह में एकत्रित हो नाचते गाते हैं और मानसून के आगमन पर बनाए गए स्वादिष्ट पकवानों का आनंद लेते हैं ,लेकिन उत्तराखंड की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले रुद्रपुर शहर के अनेक इलाके ऐसे हैं जिनके रहवासियों लिए मानसून का आना किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं है और वे चाह कर भी मानसून का स्वागत पलक पावडे बिछा कर नहीं कर पाते। वजह उनके इलाके में बारिश के बाद होने वाला जलजमाव और उसके बाद पैदा होने वाली नित नई मुसीबतें। लिहाजा जैसे-जैसे मानसून उत्तराखंड के नजदीक आ रहा है वैसे- वैसे रुद्रपुर के जलजमाव प्रभावित क्षेत्रों के वाशिंदों की पेशानी पर चिंता की लकीरें गहराने लगी है। बता दंे कि रुद्रपुर नगर निगम के अंतर्गत अनेक कालोनियां ऐसी हैं जहां के नागरिक मौजूदा नगर निगम परिषद के कार्यकाल का 4 वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद नाली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से आज तक वंचित हैं और यहां जल जमाव एक स्थाई समस्या बनकर रह गया है, क्योंकि यह जलजमाव की यह स्थिति केवल बरसात होने पर ही नहीं निर्मित होती बल्कि समुचित जल निकासी का प्रबंध ना होने के कारण यह समस्या बरसात का मौसम निकल जाने के बाद भी जस की तस बनी रहती है। रुद्रपुर शहर में कई मोहल्ले ऐसे हैं जिनमें इस खून सुखा देने वाली गर्मी में भी चौतरफा गंदा पानी जमा है और अनेक संक्रामक बीमारियों को आमंत्रण दे रहा है। जाहिर है कि इन इलाकों की यह दुर्दशा केवल और केवल जनप्रतिनिधियों के की घोर उपेक्षा का ही नतीजा है। अगर जनप्रतिनिधि जरा सी भी इच्छा शक्ति दिखाते तो इन इलाकों में जलभराव की समस्या को दूर करना कोई बेहद कठिन कार्य नहीं था। कहने की जरूरत नहीं है कि उपरोक्त जल जमाव प्रभावित इलाकों में से कुछ इलाके क्षेत्रीय पार्षदों के दुराग्रह के कारण अब तक समस्या ग्रस्त हैं और कुछ रुद्रपुर मेयर की अदूरदर्शिता के चलते। बावजूद इसके रुद्रपुर के मेयर और उनकी नगर निगम परिषद को पूरी तरह अकर्मक नहीं कहा जा सकता। क्योंकि शहर के अनेक वार्डों में कई उल्लेखनीय कार्य हुए हैं और रुद्रपुर के मेन बाजार में मेयर की इच्छाशक्ति के परिणाम स्वरूप हुए कुछ अच्छे निर्माण कार्य वर्तमान में दिखाई भी देते हैं। यह अलग बात है की 2-4 घंटों की बरसात मे ही शहर का मेन बाजार जलमग्न हो जाता है। इसकी एक बड़ी वजह है शहर में किसी व्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम का ना होना। रुद्रपुर शहर आबादी एवं संरचनात्मक विकास की दृष्टि से अब उस पायदान पर पहुंच गया है ,जहां रुद्रपुर के लिए एक महानगर के स्तर का ड्रेनेज सिस्टम अपरिहार्य हो गया है और यह कार्य केवल शहर के मेयर के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता। इस दिशा में रुद्रपुर विधायक को भी आगे आना होगा । शहर को जलभराव की समस्या से स्थाई निजात दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर बड़े प्रयासों की जरूरत है जोकि अब तक नहीं हो सके हैं। उत्तराखंड सरकार के निजाम में रुद्रपुर की जनता का नुमाइंदा होने के कारण स्थानीय विधायक शिव अरोरा की ओर से इस दिशा में बड़े ही कारगर एवं मजबूत प्रयासों की जरूरत थी। मगर वे बाढ़ के पानी में खड़े होकर तस्वीरें खिंचवा लेने के अलावा शहर को जलजमाव की समस्या से निजाम निजात दिलाने के लिए कोई उल्लेखनीय कार्य कम से कम अभी तक तो नहीं कर सके हैं। रही बात नगर निगम की मौजूदा तैयारियों की ? तो आने वाले मानसून के मद्देनजर नगर निगम की तैयारियां कमोबेश वैसी ही है ,जैसी हर साल रहा करती हैं। इसमें विशेष कुछ नहीं नजर आता।
Manpreet Singh
संपादक