उत्तराखंड के काशीपुर में अपनी जमीन बचाने के लिए किसानों ने सरकार से आरपार की लड़ाई का मन बना लिया है. किसानों ने अपनी जमीन बचाने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है. किसानों ने कहा कि जबतक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी, वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे
दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीलिंग की जमीन वापस लेने के आदेश के नोटिस के बाद किसानों ने बरखेड़ा पांडे गांव में बीते दिनों एक महापंचायत का आयोजन किया था. इस महापंचायत में किसान नेताओं के साथ साथ भारतीय किसान यूनियन के नेता एवं किसान आंदोलन के मुख्य सूत्रधार रहे राकेश टिकैत ने भी शिरकत की थी. यहां आकर उन्होंने सरकार से किसानों की जमीनें वापस किये जाने की मांग की, जिसके बाद पंचायत सभा लगाई गयी। दइस सभा में उधमसिंह नगर के सभी बड़े किसान नेताओं ने आकर प्रशासन से जमीनें वापस करने की मांग रखी वहीं 13 किसान जिनकी जमीनें सरकार द्वारा वापस ली जा रही है उन्होंने पिछले 8 दिनों से चल रहे धरने को भूख हड़ताल में तब्दील करने का निर्णय लिया। इस भूख हड़ताल मे प्रतिदिन एक-एक कर हर किसान के घर का सदस्य बैठेगा। आज की इस हड़ताल की शुरुआत किसान सुखविंदर सिंह, खुशाल सिंह और रंजीत सिंह ने की है.इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के उत्तराखंड की युवा विंग प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह जीतू ने कहा कि यह भूख हड़ताल सुबह 9 बजे से शाम को 5 बजे तक जारी रहेगी और इसमें रोजाना अलग-अलग किसान भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्होंने बताया कि मामला साल 1972 का है, यहां के किसान भाइयों ने अपनी जमीनें ली और अपने घर मकान बनवाए। उनमें से कुछ परिवारों के पास 1974 का कब्जा भी बना हुआ है. साथ ही मकानों की रजिस्ट्री अभी है। इसी के साथ साथ काफी साल पहले के बिजली के बिल आदी भी हैं। बावजूद इसके पिछले माह स्थानीय प्रशासन ने उन्हें नोटिस देते हुए उक्त जमीन को सीलिंग की जमीन बताते हुए खाली करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि जब यह बात भारतीय किसान यूनियन को पता चली तब 25 नवंबर से लगातार धरना-प्रदर्शन करने का यूनियन के द्वारा निर्णय लिया गया। उसी के तहत आज से इस धरना-प्रदर्शन को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दिया गया है।