उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर पुलिस ने रिटायर्ड स्वास्थ्य अधिकारी के साथ हुई लाखों की साइबर ठगी मामले में एक और अभियुक्त को इटावा उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया है। जबकि साइबर पुलिस उसके साथी कोलकाता निवासी को पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है। साइबर पुलिस को पकड़े गए ठग के पास से कई क्रेडिट्स व डेबिट कार्ड्स, बैंक पासबुक, चेक बुक और मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।
रविवार को जानकारी देते हुए सीओ एसटीएफ सुमित कुमार ने बताया कि अक्टूबर माह में साइबर ठगी का एक मामला कोतवाली हल्द्वानी, नैनीताल में दर्ज हुआ था। इसमें हल्द्वानी निवासी सेवानिवृत्त स्वास्थ्य अधिकारी ने साइबर ठगों द्वारा ट्रेजरी आफिसर बनकर रिटायरमेंट पर प्राप्त होने वाले फंड की जानकारी लेकर मोबाइल पर लिंक भेजकर 10.50 लाख रुपये धोखाधड़ी की शिकायत की थी। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर थाना कोतवाली हल्द्वानी से साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन कुमाऊं परिक्षेत्र में मुकदमा दर्ज हुआ और जांच प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम ललित मोहन जोशी को दी गयी थी। जांच के दौरान साइबर थाना पुलिस ने तकनीकी, डिजिटल साक्ष्य और एटीएफ फुटेज एकत्र कर घटना के मुख्य आरोपित कोलकाता निवासी अभिषेक शा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन मामले में ग्राम अजबपुर असवा थाना बढ़पुरा इटावा उत्तर प्रदेश निवासी विशाल सिंह पुत्र रनवीर सिंह फरार चल रहा था। तब से साइबर थाना पुलिस उसकी तलाश के लिए कई राज्यों में दबिशें दे रही थी। उन्होंने बताया कि शनिवार देर रात सूचना पर टीम ने विशाल सिंह को इटावा उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया है। पकड़ा गया साइबर ठग पेशे से ट्रक चालक है। उन्होंने बताया कि साइबर ठग द्वारा देश में अन्य लोगों के साथ भी साइबर ठगी को अंजाम दिये जाने की आशंका है जिसकी जानकारी अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क कर की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभियुक्त को गिरफ्तार करने वाली टीम में उप निरीक्षक दिनेश कुमार पंत, हेड कांस्टेबल हेमचंद्र मठपाल, कांस्टेबल जितेंद्र कुमार आदि शामिल थे। सीओ एसटीएफ ने बताया कि पकड़ा गया अभियुक्त काफी शातिर किस्म का है। साइबर पुलिस टीम को चकमा देने के उद्देश्य से बार-बार पर अपनी लोकेशन बदलता रहता था। लेकिन साइबर पुलिस टीम ने तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये साक्ष्य एकत्रित करते हुए वांछित अभियुक्त को जनपद इटावा उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया है। सीओ एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ में पकड़े गये अभियुक्त ने बताया कि वह अपने साथी अभिषेक शा के साथ मिलकर फर्जी ट्रेजरी अधिकारी बनकर सरकारी नौकरी से रिटायर्ड कर्मियों से उनके फंड की रकम को उनके बैंक खातों में स्थानांतरित करने के नाम पर लिंक भेजकर धोखाधड़ी करते हैं। इसके लिए फर्जी सिम, इंटरनेट मीडिया प्रोफाइल और फर्जी खातों का प्रयोग कर रहे थे। सीओ एसटीएफ लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार के लोक लुभावने अवसरों, फर्जी साइट, धनराशि दोगुना करने व टिकट बुक करने वाले अनजान अवसरों के प्रलोभन में न आएं। साथ ही फर्जी निवेश ऑफर जैसे यूट्यूब लाइक सब्सक्राइब, टेलीग्राम आधारित निवेश वेबसाइट ऑफर में निवेश न करें व किसी भी अंजान व्यक्ति के संपर्क में न आये अथवा न ही किसी भी अनजान व्यक्ति से सोशल मीडिया पर दोस्ती करें। अंजान कॉल आने पर लालच में न आएं, कॉलर की सत्यता की जांच करें बिना किसी भी प्रकार की सूचना व दस्तावेज न दें। किसी भी प्रकार के ऑनलाइन जॉब के लिए अप्लाई करने से पूर्व उस साइट का पूरी तरीके से वेरिफिकेशन संबंधित कंपनी आदि से करें। गूगल से किसी भी कस्टमर केयर नंबर सर्च न करें व शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को संपर्क करें। वित्तीय साइबर अपराध घटित होने पर तुरंत 1930 नंबर पर संपर्क करें।