उत्तराखंड में उत्तराखंड में आई आसमानी आफ़तीय आपदा से अब तक 5 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है। सूबे के मैदानी इलाकों में सबसे अधिक नुकसान ऊधम सिंह नगर जनपद में देखने को मिला है। मौसम खुलने के दो दिन बाद भी राइस मिलों में कमर तक पानी भरा हुआ है जिससे मिलों में रखा करोड़ों रुपये का सरकारी और निजी धान खराब हो चुका है।

बता दें ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय के रुद्रपुर क्षेत्र में 32 राइस मिल हैं जिसमें एक दो को छोड़कर सभी मिलों में पानी भर गया है। नेशनल हाईवे-74 से लगते हुए राइस मिल सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। मिल मालिकों का कहना है कि एनएच-74 में ड्रेनेज सिस्टम सही न होने की वजह से शहर का ये हाल हुआ है. उन्होंने बताया कि राइस मिलों में पानी भरने से 25 से 30 करोड़ का नुकसान हुआ है. फैक्ट्री के अंदर अभी भी कमर तक पानी भरा हुआ है, पिछले 48 घंटों से पंप की मदद से पानी को बाहर सिंचाई विभाग की नहर में छोड़ा जा रहा है।
एक अक्टूबर से धान क्रय केंद्रों में सरकार द्वारा धान की खरीद की जा रही है जिसमें अधिकांश धान मिलों को भेजा जा रहा था। लेकिन मिलों में पानी भर जाने के कारण धान और तैयार किया गया चावल भीग चुका है। ऐसे में राइस मिलों को भारी नुकसान हुआ है। ऊधम सिंह नगर जनपद से चावल को विदेश भेजा जाता है। लेकिन बाढ़ जैसे हालात से धान की फसल खराब हो चुकी है। अब विदेश भेजने वाले चावल में गुणवत्ता को लेकर समस्या आ सकती है। राइस मिल एसोसिएशन सेकेट्री रोहित मित्तल आरोप लगाते हुए कहा कि जब से एनएच-74 बनकर तैयार हुआ है, तब से रुद्रपुर क्षेत्र में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि काशीपुर ओवरब्रिज से लेकर तीन पानी डैम तक कोई भी ड्रेनेज सिस्टम नहीं बनाया गया है, जिस कारण पानी रुक रहा है। उन्होंने राइस मिल मालिकों के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है।