बाढ़ के बाद धान कटाई में नुकसान झेल रहे परेशान किसानों को रबी की बुवाई से पहले खाद की कीमतों में लगभग 265 रुपए प्रति बैग की बढ़ोतरी से एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। खाद के दामों के बढ़ोतरी पर पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष अरुण पांडे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जहां एक और बाढ़ मैं किसान पूरी तरीके से तबाह हो चुका है वहां एक बार फिर खाद के दाम बढ़ाकर सरकार ने किसानों के साथ अन्याय करने का काम किया है।
अरुण पांडे ने कहा कि किसानों के आंदोलन और आक्रोश से डरी हुई भाजपा सरकार अब उनके प्रति बदले की भावना से काम कर रही है। किसानों को मुश्किल में डालकर भाजपा सरकार अपनी खीझ उतार रही है। उन्होंने कहा कि डीएपी,एनपीके खाद के दामों में अचानक फिर बढ़ोत्तरी कर दी गई है। बीज, कृषि यंत्र, डीजल, बिजली के दामों की बढ़ोत्तरी से टूटे किसान को इस तरह और तोड़ दिया गया है। पांडे ने कहा कि भाजपा राज में किसान को इतना पीड़ित किया जा रहा है कि वह खेती किसानी से ही तौबा कर लेगा। क्रय केन्द्रों पर गेहूं का अम्बार लगा है लेकिन उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। चिलचिलाती धूप में लम्बी-लम्बी कतारों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसान को कहीं ई-पास तो कहीं बोरा न होने पर बैरंग लौटा दिया जा रहा है। उसके बाद पिछले दिनों आए बढ़ने किसानों की फसल को पूरी तरीके से तबाहकर उन्हें कर्ज के बोझ के तले दबा दिया है। ऐसे में किसानो को राहत देने के बजाय सरकार ने खाद के दामों में बढ़ोतरी करके किसान को और कमजोर, परेशान करने का काम किया है। पांडे दावा किया कि सरकार के फैसले से किसानों पर सालाना अतिरिक्त 20 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार डाला गया है। उन्होंने मोदी सरकार के सात साल के अब तक के शासनकाल में खाद की कीमतों में दोगुनी बढ़ोतरी का आरोप लगाया है। उन्होंने ने केंद्र सरकार पर आपदा में अवसर ढूंढने का आरोप लगाते हुए खाद की बढ़ी कीमतें वापस लेने की मांग की।