रुद्रपुर में 35 साल पुराने कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए अब नगर निगम भारत सरकार के उपक्रम रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन स्टडीज (आरआईयूएस) की मदद लेने जा रही है। आरआईयूएस की टीम कूड़े के पहाड़ का निरीक्षण कर चुकी है। बीते पांच साल में 1.58 लाख टन कूड़ा साफ कर दिया गया है। दो वर्षों में कूड़ा हटाने के लिए नगर निगम ने साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
नगर निगम की ओर से कूड़े के निस्तारण के लिए पहले एक फर्म को ठेका दिया गया था। इस फर्म ने 1.25 लाख टन कूड़े का निस्तारण किया। दूसरी फर्म की ओर से 33 हजार टन कूड़े का निस्तारण किया गया। अभी पहाड़ में कितना टन कूड़ा है, इसका जवाब निगम के अधिकारियों के पास नहीं है। नगर निगम की बोर्ड बैठक में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट से कूड़े के निस्तारण को लेकर प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है। शहर का विस्तार होने के बाद निगम के वार्ड 20 से बढ़कर 40 हो गए हैं। ऐसे में शहर का क्षेत्रफल कई गुना बढ़ गया है। इसके चलते कूड़े के पहाड़ में भी रोजाना 120 टन नया कूड़ा एकत्रित हो रहा है। कूड़े के पहाड़ का निस्तारण करने के लिए चयनित फर्म के माध्यम से ट्रामल मशीन से कूड़े से कपड़ा, कांच, प्लास्टिक आदि की छटाई की जाती थी। नगर निगम से अनुबंध खत्म होने के बाद अब ट्रामल मशीन भी हट गई है। वर्तमान में कूड़े का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। ट्रंचिंग ग्राउंड, फाजिलपुर आदि में बनाए गए एमआरएफ सेंटर से कूड़े के पहाड़ का निस्तारण किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम फर्म की खोजबीन कर रहा है।