उत्तराखंड में दो दिन की भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, राहत की बात है कि अब मौसम खुल गया है। जिदंगी दोबारा पटरी पर आने लगी है, लेकिन भारी बारिश के बाद आपदा से हुए नुकसान की भरपाई को काफी समय लगेगा। भारी बारिश की वजह से प्रदेशभर में पिछले तीन दिनों में 46 लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रदेश के साथ जनपद ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय महानगर रुद्रपुर बेमौसम बरसात में जमकर तबाही मचाई है । लगातार हुए 2 दिन के भारी बरसात में महानगर रुद्रपुर के जनजीवन को अस्त व्यस्त औऱ परेशान रहा ।
सूत्रों की माने तो आफत की बारिश में जिलामुख्यालय रुद्रपुर को भी भारी नुकसान हुआ है। लेकिन किसी ने सोचा कि अचानक रुद्रपुर में ऐसे हालात क्यों पैदा हुए जिसके कारण यहां के आम जनमानस को परेशानी का सामना करना पड़ा ।
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अगर हम हालातों और भयावह स्थिति का आकलन करें तो कुछ हद तक इस नुकसान औऱ भयावह स्थिति के जिम्मेदार हम ही लोग तो हैं । जिसने सिर्फ अपने फायदे के लिए आने वाले भविष्य की कभी भी चिंता नहीं की ।
कहते हैं मानव अपने बुरे कर्मों का फल यहीं पर भोगकर जाता है। उसे तो दूसरे जन्म तक इंतजार भी नहीं करना पड़ता। कुछ ऐसा ही सबक आफत की बारिश ने भी यहां की आम जनता को समझाया है कि प्राकृतिक संपदा से छेड़छाड़ कितना भारी पड़ सकता है

आज जनपद ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय पर अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी से हालात है । जहां नियम कायदा कानून को ताक पर रखकर सिर्फ अपने फायदे के लिए हम किसी भी कृत्य और घटना को अंजाम दे देते हैं । जी हां सुनने में थोड़ा सा बुरा जरूर लगता है लेकिन यह सच्चाई है की महानगर रुद्रपुर में जल भराव और बाढ़ जैसी स्थिति के हालात बनाने का जिम्मेदार यहां के प्रशासन के साथ आम जनमानस भी है जिसने बिना कुछ सोचे समझे शहर के नदी नालों के किनारे अपना आशियाना बना लिया। जहां से जल निकासी का रास्ता था आज उस पर उस आम जनमानस ने कब्जा कर अपना बसेरा बनाया है । वैसे तो नियमों की बात करें तो नदी किनारे से लगभग 200 मीटर की दूरी में मकान बनाने या आवास बनाने की अनुमति है । लेकिन जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय पर नियम कायदा कानून को ताक पर रखकर हर किसी ने नदी के किनारे अवैध कब्जा करके अपना आशियाना बनाया है । यह बड़ा कारण है कि 2 दिन के भारी बरसात में जल निकासी का उचित व्यवस्था ना होने के कारण महानगर रुद्रपुर के इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई और रुद्रपुर को भारी नुकसान का सामना करना करना पड़ा ।

दूसरे पहलू पर बात करें तो महानगर रुद्रपुर में ट्रांजिट कैंप में हरे भरे खेतों को मात्र ₹10 के स्टांप पेपर बेच कर एक बड़ी आबादी को छोटी-छोटी बस्तियों में बसाया गया । बस्तियां बस आते समय माटी के दलालों ने आने वाली समस्या का कतई ध्यान नहीं रखा ।
और ना ही मकान बनाते समय लोगों ने यह ध्यान रखो कि आने वाले समय में यह भयंकर स्थिति पैदा हो सकती है । इतना ही नहीं हमारे सर्वे के अनुसार संजय नगर खेड़ा से गुजरने वाली नहर पर अवैध कब्जा कर आज उस पर लोगों ने अपने मकान बना लिए हैं जिस कारण वहां से जल निकासी में रुकावट पैदा की गई । मुखर्जी नगर जगतपुरा मैं भी हालात कुछ ऐसे हैं जहां लोगों ने कल्याणी नदी के तट पर कब्जा कर अपना आशियाना बनाते समय इस बात का कभी ध्यान नहीं रखा कि आने वाले समय में उनको इस कारण समस्या का सामना करना पड़ सकता है इन सब के पीछे जितना जिम्मेदार यहां की आम जनता है उतनी ही जिम्मेदार समय-समय पर रहने वाला प्रशासन और शासन है जिसने आंखें बंद कर यह सब होने दिया तभी आज हालात बद से बदतर बन गए हैं समय रहते इन सभी पहलुओं पर शासन प्रशासन के साथ आम जनता को सोचना और समझना होगा ताकि आने वाले भविष्य में फिर कभी ऐसे ना करना पड़े ।