
प्रदेश में आई भारी बारिश व बाढ़ के चलते धान की तैयार फसल आपदा की भेंट चढ़ गई। इस आपदा की मार से किसानों की कमर टूट गई है। धान मंडी में आने से पहले ही खेतों में बिछ गई है और दाना काला पड़ चुका है। इसके कारण कंबाइन से कटाई के लिए जहां किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ अतिरिक्त कटाई देनी पड़ रही है। वहीं 24 से 28 क्विटल प्रति एकड़ निकलने वाले धान की उपज मात्र 10 से 14 एकड़ रह गई है। इससे दाम भी सरकारी दरों से करीब 40 फीसद तक कम मिल रहे हैं। इसी प्रकार लाही, मटर व गन्ने की फसल खराब हो गई है।
उत्तराखंड में बीते दिनों हुए भारी बारिश के दौरान कटने को तैयार फसल खेत में ही गिर गई। जलभराव के चलते फसल की तने कमजोर हो गए। जिससे 15 से 30 फीसद तक धान की फसल नष्ट हो गई। वहीं पहले से कटा धान खेत में सूखने के लिए छोड़ा गया था। वह भी 50 से 90 फीसद खराब हो गया। पानी में भीगने से धान में अंकुरण भी हो गया है। बचे हुए दाने काले पडऩे से उनकी गुणवत्ता में कमी आई है। आंकलन के अनुसार कुमाऊं में करीब 46 हजार हेक्टेयर फसल बारिश से प्रभावित हुई है वही जनपद ऊधम सिंह नगर जिले में भी लगभग 45 हजार हेक्टेयर खेती को नुकसान पहुंचा है। इतना ही नहीं खेतों में तैयार खड़ी गन्ने की फसल भी बाढ़ से चौपट हो गई है। इस गन्ने पर मिट्टी व गाद जमा होने से उसे औने-पौने दामों में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। क्षेत्रभर में किसानों को इस प्राकृतिक आपदा ने ऐसा नुकसान पहुंचाया है, जिसकी भरपाई अगले कई वर्षो तक होने वाली नहीं है। अब किसानों ने प्रदेश सरकार से उनके नुकसान की भरपाई को स्थलीय सर्वे करवाकर मुआवजा दिलाने की मांग की है। वहीं तहसीलदार राजेंद्र सनवाल ने बताया कि हल्का पटवारियों व कृषि विभाग के अधिकारियों के माध्यम से क्षेत्रभर में बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वेक्षण जारी है, जिसमें भारी नुकसान होने की बात सामने आ रही है। पूरी रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों के साथ ही शासन-प्रशासन को प्रेषित की जाएगी।
कुमाऊं में बारिश व आपदा से सबसे ज्यादा नुकसान जनपद ऊधम सिंह नगर को हुआ है। ऊधम सिंह नगर में करीब 45 हजार हेक्टेयर भूमि से धान की कटाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में खड़ी फसल में जलभराव से समस्या हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान दिनेशपुर ,खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज आदि क्षेत्रों में हुई है। वहीं रुद्रपुर, काशीपुर, गदरपुर, बाजपुर आदि क्षेत्रों में भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। नैनीताल जिले के हल्द्वानी, रामनगर, कोटाबाग, कालाढूंगी, बिंदुखत्ता, लालकुआं आदि क्षेत्रों में धान की करीब 680 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। चंपावत में 116 हेक्टेयर व अल्मोड़ा में करीब 18 हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित है। जबकि बागेश्वर व पिथौरागढ़ में अधिकांश फसल पहले ही कट चुकी थी। जिससे आंशिक नुकसान हुआ है।
