पंतनगर और महानगर रुद्रपुर के सिडकुल में स्थापित सीईपीटी के स्टोरेज प्लांट में पहली बार इतनी अधिक जहरीली गैस बनी की तीन जिंदगीयों को मौत घाट उतर दिया हैं। प्लांट के अंदर बने टैंक की जमीन से सतह तक लगभग 25 से 30 फिट की गहराई है। कंपनी ने कर्मचारियों ने बताया कि प्लांट के कर्मचारी रोजमर्रा टैंक के अंदर जाकर दूषित पानी के साथ आने वाले कचरे को साफ करते थे, लेकिन पहली बार महज कुछ फिट अंदर जाते ही जहरीली गैस ने प्लांट हेड सहित दो कर्मचारियों को मौत की नींद सुला दिया। जिसे सुनकर हर कोई हैरान और स्तब्ध है।
आपको बता दे सिडकुल की सेक्टर आईआईडीसी आईआईसी स्थित पंतनगर में सीईटीपी का वर्ष 2004 से रैमके कंपनी संचालन कर रही है। प्लांट के अंदर सीईपीटी के स्टोरेज टैंक की गहराई लगभग 25 से 30 फिट है। इसमें प्लांट के कर्मचारी रोजमर्रा पिछले कई वर्षों से स्टोरेज टैंक की सफाई और मोटर जांच करते आ रहे हैं। हादसे में बेहोश हुए प्लांट हैड के चालक बिजेंदर कुमार ने बताया कि पिछले कई सालों से वह प्लांट में काम करता है। टैंक में जहरीली गैस तो बनती थी, लेकिन ऐसी जानलेवा कभी नहीं हुई। चालक ने बताया कि प्रतिदिन हेल्पर हरपाल स्टोरेज टैंक में जाता था, लेकिन ऐसा हादसा होगा कभी सोचा भी नहीं था। वहीं पोलर कंपनी के एचआर हेड रोहित शर्मा ने बताया कि सिडकुल के दूषित पानी में आइसोसाइनाइट नाम का कैमिकल होता है। इसमें मिथेनॉल, अमोनिया सहित तमाम प्रकार की जानलेवा गैस पैदा होती है। हादसे के वक्त भी यही हुआ होगा कि सोमवार को इस घातक गैस की मात्रा और दवाब कई गुना बढ़ गया होगा। यही कारण रहा होगा कि तीन फिट की गहराई में घुसते ही गैस के दबाव ने तीन जिंदगियां छीन ली हैं।