उत्तराखंड में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे वैसे उत्तराखंड से अलग राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर उत्तराखंड में भी डर सताने लगा हैजनपद में बाहुल्य किसान जनपद होने के कारण अब यह माना जा रहा है कि, किसान आंदोलन के द्वारा भाजपा हटाओ अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लगातार आंदोलन तेज होने की कवायद भी उत्तराखंड के साथ-साथ अलग राज्यों में देखी जा रही है. लिहाजा दोनों जनपद किसान बाहुल्य जनपद हैं, ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि करीब 20 विधानसभा सीटों को किसान आंदोलन प्रभावित कर सकता है। इस बीच इस दर के साथ पिछले साढे 4 साल का गुबार अब निकलने लगा है। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य की कांग्रेस में वापसी के साथ ही कुछ और चेहरे भी कांग्रेस के दामन थाम के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कलकत्ता विधानसभा चुनाव की तरह उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ खेला होने साफ आसार नजर आ रहे हैं। यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य की कांग्रेस में वापसी के साथ जनपद ऊधम सिंह नगर से सुगबुगाहट तेज हो चली है कि भाजपा के दो विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं ! पिछले साढे 4 साल के सरकार के तानाशाही रवैये को दुरुस्त करने में लगे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के साथ अपने ही गृह जनपद में पार्टी में बिखराव को नहीं रोक पा रहे।
आपको बता दें कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य की कांग्रेस में घर वापसी की चर्चाएं तो पिछले 15 दिन से चल रही थीं लेकिन जिस गोपनीय तरीके से दोनों की दिल्ली में घर वापसी हुई उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कई और चेहरों की कांग्रेस में घर वापसी के साथ ही भाजपा के कुछ चेहरे भी कांग्रेस का हिस्सा बन सकते हैं। सूत्रों की मानें तो कॉन्ग्रेस जसपुर के पूर्व विधायक शैलेंद्र मोहन सिंघल पर भी डोरे डाल रही है हालांकि वह अस्वस्थ हैं। लेकिन वही माना जा रहा है कि वह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, हालांकि ऊधमसिंह नगर की नौ में से यह एकमात्र सीट ऐसी है जहां से कॉन्ग्रेस के विधायक आदेश चौहान हैं। वहीं ऊधम सिंह नगर के दो भाजपा विधायक भी कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं ! इनमें एक को टिकट कटने का पूरा अंदेशा है और पार्टी में उनके सुर पिछले कुछ दिनों से बदले बदले से भी लग रहे हैं।