जिला मुख्यालय रुद्रपुर में स्थित राज्य की पहली आंचल पशु आहार निर्माणशाला को पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड़ ) में देने की तैयारी चली रही हैं । इसकी वजह उत्पाद में बढ़ोतरी करना बताई जा रही हैं । उत्तराखंड कॉपरेटीव डेयरी फेडरेशन की ओर से शासन को इसका प्रस्ताव भी भेज दिया गया हैं ।
रूद्रपुर की किच्छा बाईपास रोड में करीब 12 एकड़ भूमि में स्थापित राज्य के दुग्ध संघों को सप्लाई किए जाने वाले आंचल पशु आहार निर्माणशाला में बनाए जाते हैं। वर्ष 1998 में आंचल निर्माणशाला की स्थापना के बाद पशुओं के लिए पौष्टिक और गुणवत्तायुक्त साइलेज और मिक्सचर बनाए जाते हैं। इसी निर्माण शाला में राज्य के 12 जिलों के दुग्ध संघो और ट्रेंड कंपनियों को पशु आहार बेचा जाता है। कर्मचारियों की माने तो इसमें आंचल पशु आहार की अच्छी कमाई भी हो रही है और लगातार कई वर्षों से निर्माणशाला प्रोफिट में है जानकारी के अनुसार निर्माणशाला में वर्ष 2016-17 में 13754.190 मैट्रिक टन, वर्ष 2017- 2018 में 14057.855 मैट्रिक टन, वर्ष 2018 -2019 में 14755.700 मैट्रिक टन व वर्ष 2020 – 2021 में 12206.014 मैट्रिक टन पशु आहार का उत्पादन हुआ है। हाल ही में डेयरी कॉरपोरेट फाउंडेशन की बैठकर में पशु आहार का उत्पादन बढ़ाने को लेकर निर्माणशाला को पीपीपी मोड में देने का फैसला लिया गया है । वही इस फैसले में डेरी फाउंडेशन में काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी अब खतरे में है जिसको लेकर कर्मचारी भी इस फैसले के विरोध में हैं। कर्मचारियों ने महानगर कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश तनेजा और पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष अरुण पांडे से मुलाकात कर अपनी इस परेशानी को साझा किया। कर्मचारियों का कहना है कि लगातार कई वर्षों से कार्यशाला निर्माणशाला मुनाफे में है तो फिर कैसे ऐसा फैसला लिया जा सकता है जिससे कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ गई है।
वहीं इस मामले में कांग्रेस कमेटी के नगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा ने भाजपा पर सरकारी संसाधनों को अपने फायदे के लिए निजी करण का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासनकाल में भाजपा सरकारी संसाधनों को बेचने का काम कर रही है जिससे देश में लगातार बेरोजगारी और महंगाई बढ़ रही है।तनेजा कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा पशु आहार के दामों को कंट्रोल किए जाने व बेहतर फीड नो प्रॉफिट नो लॉस पर पशुपालक तक डेयरियों व दुग्ध समितियों के माध्यम से पहुंचाए जाने की योजना संचालित की गई थी। इसके चलते जहां किसानों को उचित मूल्य पर फीड प्राप्त हो जाता है, जबकि प्लांट के पीपीपी मोड़ पर जाने के बाद दाम कई गुना बढ़ जाएंगे। कहा कि प्लांट की उत्पादन क्षमता 12 से 14 हजार मैट्रिक टन होने के चलते 100 से अधिक लोगों को इसमें रोजगार भी मिल रहा है। बावजूद इसके प्लांट का निजीकरण करने के उद्देश्य से संबंधित मंत्रालय द्वारा नियम विरुद्ध है । विभाग द्वारा एक अधिकारी को महाप्रबंधक की कुर्सी पर बैठाकर प्रस्ताव बनवाया गया है, जोकि पूर्णत: गलत है। जबकि इस प्लांट के संदर्भ में कोई भी निर्णय दुग्ध संघ बोर्ड अथवा उत्तराखंड डेयरी समिति के प्रस्तावों पर ही लिया जा सकता है।
पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि गुप-चुप तरीके से की जा रही इस कार्यवाही से ऐसा प्रतीत होता है कि रुद्रपुर शहर के मध्य में स्थापित करोड़ों रुपये की भूमि को खुर्द-बुर्द करने की तैयारी है। इसमें कुछ समय तक पीपीपी मोड़ पर प्लांट संचालित किया जाएगा और इसके बाद घाटा दिखाकर अन्य उद्योगों की तरह प्लांट बंद कर जमीन हथियाई जा सकती है।पांडे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासनकाल में भाजपा की सरकार देश के सरकारी संपत्तियों को बेचने का काम कर रही है उन्होंने कहा कि आँचल को पीपीपी मोड़ पर देकर सरकार किसानों के साथ भी अन्याय करने का काम करेगी।