जिला ऊधम सिंह नगर जनपद के मुख्यालय पर अफसरों के ख्याली विकास की सोच से जनपद का बुरा हाल है। यहां अफसर अपने दफ्तरों में बैठकर विकास करने के दावे करते हुए आम जनता को ख्याली राहत पहुंचाने में मशहूक हैं। इन दिनों पूरे प्रदेश के साथ जनपद ऊधम सिंह नगर और मुख्यालय रुद्रपुर भी डेंगू के डर से परेशान है हालांकि अभी डेंगू की कहर यहाँ नियंत्रण में है लेकिन हालात बिगड़ते वक्त नहीं लगता है नगर निगम लगातार दावे कर रहा है कि वह शहर भर में एंटी लारवा व फॉकिंग और सफाई व्यवस्था करवा रहा है। लेकिन जब हमने नगर निगम की सच्चाई तलाशने के लिए ग्राउंड जीरो पर उतर कर मलिन बस्तियों का रुख किया तो तस्वीर कुछ और ही देखने को मिली। नगर निगम तो छोड़िए किसी भी प्रशासनिक व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने यहां पर झांक कर भी नहीं देखा।
प्रदेश में भाजपा शासनकाल में हमेशा ही अफसरशाही प्रदेश की आम जनता पर हावी रही है । अफसर कुर्सियों में बैठकर आम जनता का सिर्फ शोषण ही करते हुए ही नजर आए हैं। धरातल पर उतर कर कभी किसी अधिकारी ने आम जनता की सुध लेने का वक्त नहीं निकाला। कुछ ऐसा ही नजारा एक बार फिर प्रदेश उत्तराखंड के औद्योगिक हब और राजनीतिक हब ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर का है। जहां डेंगू की मार से बचने और बाढ़ पीड़ित प्रशासन की ओर सहूलियत के लिए टकटकी लगाए बैठे हुए हैं लेकिन अफसर हैं कि उनके पास अपने दफ्तरों से निकलकर आम जनता के सुध लेने का वक्त ही नहीं है। इतना ही नहीं रुद्रपुर निगम के कुछ अधिकारी तो दफ्तरों की कुर्सी में बैठकर आम जनता को राहत देने के लिए खयाली सोच रखकर राहत पहुंचने में मशहूक हैं।
आपको को बता दे कि महानगर रुद्रपुर के संजय नगर से होकर एक नहर निकली है जिससे बेगुल नहर के नाम से जाना जाता हैं। नगर निगम और जिला प्रशासन की हीला हवाली कहें या नाकामी आज नहर नाले में तब्दील हो गई है। कभी 10 से 15 फुट की चौड़ाई में स्वतंत्र रूप में बहने वाले नहर आज नाले में तब्दील हो गया है इसके जिम्मेदार नगर निगम, प्रशासन के साथ आम इंसान भी है। अपने अस्तित्व खोने के साथ कूड़ा करकट फेंके जाने से आज यह नाला कूड़े से लबालब फटा हुआ है। गंदा पानी और सड़ेगले कूड़े लगातार सड़ने से संक्रमित रोग फैलने की काफी संभावनाएं हैं।
धरातल पर जाकर जब हमने इस नाले के बारे में जनता से जाना तो नहर से नाले बनने के कारण ही पिछले दिनों आई संजय नगर के घरों में जल भराव में इस नाले की अहम भूमिका रही। कहते हैं संजय नगर में जो जलभराव हुआ वह इसी नाली के कारण ही हुआ। क्योंकि अतिक्रमण और गंदगी से पटे होने के कारण संजय नगर में जल निकासी नहीं हो पाई और नाले का जल घरों में घुसकर लोगों को अपना शिकार बनाया। इतना ही नहीं बाढ़ के बाद भी यह नाला अभी तक गंदगी से पटा हुआ है जो डेंगू के साथ अनेक बीमारी को शहर में आने के लिए आमंत्रित कर रहा है। लेकिन प्रशासन की बेरुखी का शिकार संजय नगर और आस पास के लोग इसी हालतों में जीने को मजबूर हैं। मोटी मोटी फाइलों में डेंगू को रोकने के लिए नगर निगम और प्रशासन के बड़े बड़े इंतजाम किए गए हैं .लेकिन ग्राउंड जीरो पर नगर निगम के दावे पूरी तरह से बौने साबित होते दिखाई दे रहे है। वही एक तरफ प्रदेश के मुखिया प्रदेश के विकास और जनता की सहूलियत के लिए दिन रात भरपूर प्रयास कर रहे हैं तो उनके हिदायत के बाद भी अधिकारी पूरी तरीके से अफसरशाही में मस्त मगन है। अधिकारियों को अपने दफ्तरों की कुर्सी को छोड़कर आम जनता के बीच जाकर उनके हालचाल जानने का वक्त ही कहां है वक्त तो छोड़िए जनाब जो सहूलियत और इंतजाम आमजनता के लिए होने चाहिए। अधिकारियों ने अपने ख्याली सोच में ही उसे जनता तक पहुंचा दिया है।