पुलिस को जनता की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी कानून ने दी है। जब भी कोई अपराध होता है तब पुलिस उस अपराध पर एफआईआर दर्ज करती है और कोर्ट में चालान प्रस्तुत करती है। किसी भी अपराध में पक्ष अभियुक्त का होता है और एक शिकायतकर्ता का होता है। कभी-कभी देखने में यह आता है कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई, एफआईआर दर्ज करने के बाद अन्वेषण किया गया। लेकिन कभी कभी ये सभी प्रक्रिया और पुलिस की कार्यप्रणाली कमजोर सी लगाती है। जब कोई ऊपरी पहुचदार या पूंजीपति इस दायरे में अपराध करने के बाद आता है। कुछ इसी तरह का मामला जनपद ऊधम सिंह नगर के रुद्रपुर में आया है।
जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में बीती 2 अप्रैल को आदर्श कॉलोनी स्थित सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर से बरामद हुए नेपाल मूल के नाबालिक बच्चे के ब्यान दर्ज कर एफआईआर होने के बाद भी आज तक कोतवाली पुलिस ने ना तो आरोपी महंत से पूछताछ की और ना ही आरोपी बेटे से।
आपको बता दे कि नेपाल के रहने वाले नाबालिक को पिछले करीब साढ़े तीन साल से रुद्रपुर के आदर्श कालोनी स्थित सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर के महंत रमेश वशिष्ठ और उनके बेटे ब्रजरज अभिषेक वशिष्ठ पर जबरन बंधक बनाकर रखने और बाल श्रम कराने का आरोप था। जिसके बाद महंत की कैद में बंद नाबालिक का भाई नेपाल से रुद्रपुर पहुंचा तो उसके साथ बचपन बचाओ आंदोलन और चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम भी नाबालिक को कैद से छुड़ाने के लिए दिल्ली और देहरादून से रुद्रपुर आई। जिसके बाद बचपन बचाई आंदोलन के पदाधिकारियों सुबह सुबह पुईस के साथ सिद्धेश्वर श्री बालाजी मंदिर में पहुंचे और नाबालिक से बातचीत कर उसको महंत और उसके बेटे के चंगूल से छुड़ाया।जिसके बाद नाबालिक का भाई पूरी टीम के साथ रुद्रपुर सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह से मिले और पूरी कहानी बताई। लेकिन नाबालिक बच्चे के ब्यान दर्ज कर एफआईआर होने के बाद से आज तक कोतवाली पुलिस ने ना तो आरोपी महंत से पूछताछ की और ना ही आरोपी बेटे से पूछताछ की है।